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“भाजपा के सियासी तीर – राजस्थान मंत्रिमंडल विस्तार में निशाना साधने की तैयारी!”

 

दिल्ली में बीते 48 घंटों में राजस्थान की राजनीति में भूचाल आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मुलाकात और उसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मुलाकात ने नए राजनीतिक समीकरण खड़े कर दिए हैं। सूत्रों का दावा है कि दिल्ली के पॉवर कॉरिडोर में देर रात वसुंधरा राजे और भाजपा के तीन वरिष्ठ नेताओं की गुप्त बैठक ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है।

हाईकमान के इशारे पर चल रहे इस सियासी शतरंज में अब सबसे बड़ा सवाल यह है – राजस्थान के मंत्रिमंडल विस्तार में किसका पत्ता कटेगा और किसे सत्ता का ताज पहनाया जाएगा?

भाजपा हाईकमान का दबाव, संतुलन साधने की तैयारी

भजनलाल शर्मा सरकार के 18 महीनों के जनकल्याण कार्यों, जनता से जुड़ाव और प्रदर्शन रिपोर्ट को देखते हुए हाईकमान ने सख्त संकेत दिए हैं – “काम करो या घर जाओ।” पार्टी सूत्रों का कहना है कि कई मौजूदा मंत्रियों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है, जिससे उनका मंत्रालय छिन सकता है।

वसुंधरा फैक्टर – खेमेबाज़ी या पॉवर शेयरिंग?

भाजपा के भीतर वसुंधरा खेमे को लंबे समय से दरकिनार करने की चर्चाएं थीं। लेकिन दिल्ली में हुई गुप्त मीटिंग के बाद अब माना जा रहा है कि हाईकमान मंत्रिमंडल विस्तार में वसुंधरा गुट को भी अहम हिस्सेदारी देकर पार्टी के अंदरूनी असंतोष को शांत करना चाहता है।

संघ की भूमिका – नामों पर मंथन होगा

सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में संघ (RSS) की भूमिका भी अहम रहेगी। संगठन के सुझाए गए नामों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। संघ की राय के बिना कोई बड़ा फैसला नहीं होने की संभावना जताई जा रही है, जिससे भाजपा और संगठन के बीच संतुलन कायम रखा जा सके।

संभावित नए चेहरे – युवा, जातीय समीकरण और सत्ता का नया गणित

सूत्रों के मुताबिक, मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय संतुलन साधने पर जोर होगा। पिछड़ा वर्ग, दलित और महिला नेताओं को खास महत्व मिल सकता है। इन नामों पर चर्चा तेज़ है:

छबड़ा: प्रताप सिंह सिगवी

निबाहेड़ा: श्री चंद कपलानी

मालवीयनगर: कालीचरण सराफ

बाली: पुष्पेंद्र सिंह

अजमेर: अनिता बधेल

जोधपुर: बाबू सिंह राठौड़

कोटा: संदीप शर्मा

खण्डार: जितेंद्र गोठवाल

भरतपुर (बेर): बहादुर सिंह कोली

राजसमंद: दीप्ति माहेश्वरी

खींवसर (नागौर): रेवत सिंह डागा

चौहटन: आदु राम

लाडपुर: कल्पना राजे

सादुलपुर: गुरवीर सिंह

भरतपुर: जगत सिंह

डेगाना: अजय सिंह किलक

अनुभव और युवाओं का मिश्रण – नई टीम की तैयारी

सूत्रों के मुताबिक जिन विधायकों के नाम चर्चा में हैं, उनमें कुछ लंबे समय से विधायक हैं जबकि कुछ बिल्कुल नए चेहरे हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा खुद युवा नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं और माना जा रहा है कि इस बार वे युवाओं को ज्यादा मौका देकर अपने मंत्रिमंडल में एक नई, ऊर्जावान टीम ला सकते हैं। इसका मकसद बचे हुए साढ़े तीन साल में राजस्थान की जनता से किए चुनावी वादों और संकल्प पत्र को तेजी से पूरा करना है।

सियासी समीकरण – कौन अंदर, कौन बाहर?

जिन मंत्रियों का जनता से सीधा संवाद कमजोर है, वे बाहर हो सकते हैं।

युवाओं, जमीनी नेताओं और चुनाव जीतने वाले चेहरों को मौका मिल सकता है।

हाईकमान, संघ और वसुंधरा गुट के बीच पावर बैलेंस बनाने का फार्मूला तैयार हो रहा है।

राजनीतिक गलियारों में अब चर्चा है कि अगस्त के पहले हफ्ते में होने वाला यह मंत्रिमंडल विस्तार सिर्फ चेहरों का बदलाव नहीं होगा, बल्कि राजस्थान की सत्ता संतुलन की दिशा ही बदल सकता है। दिल्ली से लौटे नेताओं के चेहरे बता रहे हैं कि इस बार भाजपा का खेल और भी बड़ा और अप्रत्याशित होगा।

नोट: यह पूरी खबर सूत्रों के हवाले से लिखी गई है।

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