
जयपुर। घुमंतू और विमुक्त जातियों के प्रतिनिधियों ने सरकार से आरक्षण, शिक्षा, आवास और सम्मानजनक जीवन के लिए ठोस नीति की मांग करते हुए 1 जुलाई को जयपुर में विशाल जनसभा की घोषणा की है। इसमें 20 से अधिक जातियों के लोग पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होंगे और सरकार को अपनी पीड़ा सुनाएंगे।
राष्ट्रीय अध्यक्ष रतन कालबेलिया ने कहा, “हम तो जीने से पहले भी मरे हुए हैं और मरने के बाद भी हमारे पास 2 गज ज़मीन नहीं है। शवदाह के लिए श्मशान में भी जगह नहीं मिलती। कईयों को घरों में ही दफनाना पड़ता है। कोई सरकार हमारी नहीं है।” उन्होंने कहा कि “सरकारी योजनाएं सिर्फ कागज़ों में चलती हैं और कुछ NGO ही उन्हें हड़प जाते हैं।”
लालजी राईका ने कहा, “हमारे समाज से आज तक कोई भी IAS या IPS नहीं बना क्योंकि हमारे पास ना स्थाई घर है, ना शिक्षा की सुविधा। सरकारें हमें सिर्फ वोट बैंक समझती हैं।” उन्होंने बताया कि पाली और जोधपुर में ज्ञापन देने के बावजूद कोई समाधान नहीं मिला। “अब 1 जुलाई को जयपुर में सरकार की नाक के नीचे हमारी आवाज़ गूंजेगी। अगर मुख्यमंत्री मिलने बुलाते हैं, तो हम समाज की व्यथा उनके सामने रखेंगे।”
घुमंतू समाज की मुख्य मांगे इस प्रकार हैं:
जातीय सूची में उपनामों को जोड़कर प्रमाण पत्र जारी किए जाएं, DNT समाज को 10% आरक्षण दिया जाए, पंचायत-निकायों और राज्यसभा में 10% प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए, जहां सालों से रह रहे हैं उन जगहों को नियमित कर पट्टे दिए जाएं, शहरों में 100 वर्गगज और गांवों में 300 वर्गगज आवास तथा 300 वर्गगज बाड़े की जमीन दी जाए, शिक्षा बजट का 10% हिस्सा अलग कर आवासीय विद्यालय, हॉस्टल, आंगनबाड़ी, कला व कौशल कॉलेज खोले जाएं, RTE के तहत निजी स्कूलों में प्राथमिकता और फीस की प्रतिपूर्ति दी जाए, युवाओं को आधुनिक तकनीकी उद्योगों में प्रशिक्षित कर प्राइवेट सेक्टर में रोजगार दिया जाए, हर साल 1000 विद्यार्थियों को विदेश में पढ़ाई के लिए भेजा जाए, और समाज के लिए अलग मंत्रालय, वित्त निगम और लोन सुविधा उपलब्ध करवाई जाए।
यह जनसभा केवल आवाज़ उठाने की नहीं, बल्कि वर्षों की उपेक्षा के खिलाफ सामाजिक चेतना का उद्घोष है। घुमंतू समाज अब चुप नहीं बैठेगा — 1 जुलाई को जयपुर में यह समाज सरकार से अपना हक और सम्मान मांगने नहीं, उसे याद दिलाने आ रहा है।