एक महापौर घेवर में व्यस्त, दूसरी कुर्सी में मस्त – जयपुर का हाल बेहाल !
जयपुर की सड़कों पर पानी बहा, जिम्मेदारी सवालों में डूबी और दोनों महापौर खुद के एजेंडे में खोई रहीं ! बारिश आई... जयपुर डूबा...

जनता की अबाज / निगमो के कानों तक
जयपुर।
जिस शहर को दो हिस्सों में बाँट कर स्मार्ट सिटी का सपना बुना गया था, वहीं कल हुई पहली ही बारिश ने नगर निगम ग्रेटर और नगर निगम हेरिटेज — दोनों की ऐसी पोल खोली कि सड़कें तालाब बन गईं, और जिम्मेदार सिर्फ गायब ही नहीं, बल्कि सवालों से भी बेखबर हैं।
नगर निगम ग्रेटर की महापौर सौम्या गुर्जर और नगर निगम हेरिटेज की महापौर कुसुम यादव — दोनों ही इस भारी बारिश में नदारद रहीं। जनता तलाशती रही जवाब, लेकिन एक महापौर उत्सवों की चमक में तो दूसरी कुर्सी की मजबूरी में गुमशुदा दिखीं।
📌 नगर निगम ग्रेटर: फोटो, फेस्टिवल और फेलियर
सौम्या गुर्जर का कार्यकाल चर्चा में रहा तो बस ‘घेवर उत्सव’, ‘तीज समारोह’, ‘लहरिया डे’ और राखी प्रोग्राम के लिए। लेकिन सफाई, सीवर, ड्रेनेज, और ट्रैफिक जैसे असली मुद्दों पर उनका ध्यान शायद कभी गया ही नहीं।
स्मार्ट सिटी पर करोड़ों बहा दिए, लेकिन कल की बारिश ने बता दिया कि हकीकत में तैयारियां शून्य हैं।
जनता बोली: “हम सड़क ढूंढ रहे थे, गड्ढों में समा गए। महापौर ढूंढे, तो सेल्फी में दिखीं!”
📌 नगर निगम हेरिटेज: समर्थन की सरकार, समाधान से दूर
कुसुम यादव की कुर्सी भी विवादों से घिरी रही। जब उन्हें महापौर बनाया गया, तो अपने ही पार्षद खफा थे। कांग्रेस के पार्षदों के समर्थन से बनी ये जोड़-तोड़ की सरकार, अब हर फैसले से पहले कुर्सी बचाने का गणित करती है।
बारिश के दौरान भी न कोई आपात बैठक, न कोई निरीक्षण — मानो शहर डूबे या तरे, उन्हें फर्क नहीं।
भीतरखाने चर्चा: “महापौर कुर्सी से चिपकी हैं और भाजपा पार्षद तमाशबीन!”
🧱 जयपुर की सच्चाई — दो महापौर, और दोनों ‘बिना ज़िम्मेदारी की रानी’
एक महापौर जिनके लिए काम का मतलब है रंग-बिरंगे इवेंट और फोटोज़, और दूसरी जो अपने पद की उम्र बढ़ाने में ही व्यस्त हैं।
बारिश में जयपुर बेहाल था, लोग घुटनों तक पानी में फंसे थे, पर निगमों में या तो चुप्पी थी या कुर्सी की राजनीति।