
जयपुर
‘ऑपरेशन सिंदूर’: कश्मीर के पहलगांव में हुए आतंकी हमले के बाद भारत का करारा जवाब, जयपुर में मुस्लिम समुदाय ने मनाया जश्न
जयपुर। भारत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आतंकवाद की भाषा अब वही समझेगा जो हिंसा बोता है। पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना की सटीक और साहसिक कार्रवाई को देशभर में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से जाना जा रहा है। यह केवल एक सैन्य हमला नहीं, बल्कि उस पीड़ा और अपमान का बदला है, जो आतंकियों ने कश्मीर के पहलगांव में देश के आम नागरिकों और पर्यटकों पर हमला करके दिया था।
22 तारीख को कश्मीर के पहलगांव में हुए इस बर्बर आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया था। इस हमले में निहत्थे और निर्दोष पुरुषों को निशाना बनाया गया, जो या तो स्थानीय नागरिक थे या देश के विभिन्न हिस्सों से आए पर्यटक। कई महिलाएं विधवा हो गईं और परिवारों का सुख-चैन छिन गया। इन्हीं उजड़े हुए मांगों और बहते हुए सिंदूर के आंसुओं को सम्मान देते हुए भारत ने इस स्ट्राइक को नाम दिया — ‘ऑपरेशन सिंदूर’।
इस सैन्य कार्रवाई ने न सिर्फ आतंकी ठिकानों को तबाह किया, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा। आतंकवाद की एक-एक कीमत चुकवाकर ही दम लेगा।
जयपुर के चार दरवाजा क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इस ऑपरेशन का खुलकर समर्थन किया और जश्न मनाया। लोगों ने पटाखे फोड़े, मिठाइयां बांटी और ‘भारत माता की जय’ तथा ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के गगनभेदी नारे लगाए।
स्थानीय नागरिक मुश्ताक़ खान ने कहा, “पहलगांव में निर्दोष नागरिकों और पर्यटकों को मारना एक कायरता थी। यह हमला पूरे भारत पर था। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने यह साबित कर दिया कि हम अब हर आंसू का हिसाब रखेंगे। ये बदला है उन सूनी मांगों का, जिनसे आतंकवादियों ने जबरन सिंदूर छीन लिया।”
उन्होंने आगे कहा, “हम भारतीय मुसलमान हैं। जब बात देश की होती है, तब ना कोई हिन्दू होता है ना मुसलमान — सिर्फ भारतीय होते हैं। भारत की मिट्टी हमारी पहचान है और उसकी रक्षा के लिए हम हर मोर्चे पर साथ खड़े हैं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसलों का समर्थन करते हुए मुश्ताक़ खान ने कहा, “पाकिस्तान के खिलाफ सिर्फ पानी रोकना काफी नहीं है। अगर वो फिर भी न सुधरे, तो उसे प्यासा भी मारा जाना चाहिए। भारत को अब नर्मी नहीं, निर्णायक रुख अपनाना होगा।”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ अब सिर्फ एक एयर स्ट्राइक नहीं, बल्कि उस नारी सम्मान का प्रतीक है जिसे आतंकवाद ने कुचलने की कोशिश की थी। यह उन पर्यटकों की चीख का जवाब है, जो अपनी जिंदगी की खुशियां समेटने पहलगांव आए थे, लेकिन वापस नहीं लौट सके।