
जयपुर
ईडी ने जल जीवन मिशन घोटाले में कांग्रेस नेता महेश जोशी को किया गिरफ्तार
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जल जीवन मिशन (जेजेएम) में हुए करीब 900 करोड़ रुपये के घोटाले के सिलसिले में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता महेश जोशी को गिरफ्तार कर लिया है। गुरुवार को दिनभर चली पूछताछ के बाद शाम को उन्हें हिरासत में लिया गया।
कई बार समन भेजे जाने के बाद गुरुवार दोपहर 1 बजे महेश जोशी अपने एक निजी सहायक के साथ ईडी मुख्यालय पहुंचे थे। अधिकारियों ने उनसे फर्जी दस्तावेजों और टेंडर आवंटन में हुई अनियमितताओं को लेकर करीब 6 घंटे तक पूछताछ की, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
जोशी का बयान: “मुझे न्याय प्रणाली पर भरोसा”
गिरफ्तारी के बाद महेश जोशी ने मीडिया से कहा, “मेरी पत्नी मरणासन्न स्थिति में हैं। मैंने ईडी से अनुरोध किया था कि मुझ पर गलत केस बनाया गया है। मैंने कोई गड़बड़ी नहीं की और न ही कोई पैसा लिया है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जिन लोगों के खिलाफ उन्होंने कार्रवाई की थी, उन्हीं के बयान के आधार पर उनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई है। उन्होंने न्याय मिलने की उम्मीद जताई।
घोटाले की पृष्ठभूमि: फर्जी सर्टिफिकेट से हासिल किए गए करोड़ों के टेंडर
यह घोटाला केंद्र सरकार की ‘हर घर जल’ योजना के तहत चल रहे जल जीवन मिशन से जुड़ा है। साल 2021 में दो कंपनियों—श्री श्याम ट्यूबवेल और मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल—ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों के जरिए जलदाय विभाग (PHED) से करोड़ों रुपये के टेंडर हासिल किए।
श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने पीएचईडी की 68 निविदाओं में भाग लिया और 31 में एल-1 के रूप में 859.2 करोड़ रुपये के टेंडर हासिल किए। वहीं श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 निविदाओं में भाग लेकर 73 टेंडरों में एल-1 बनते हुए 120.25 करोड़ रुपये के टेंडर प्राप्त किए।
15 लाख में बने थे फर्जी सर्टिफिकेट
घोटाले की जांच कर रही एसीबी ने इस मामले में महेश जोशी सहित 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जांच के दौरान अहमदाबाद निवासी मुकेश पाठक नाम के एक निजी सहायक से अहम सुराग मिले। उसने स्वीकार किया कि उसने फर्जी सर्टिफिकेट तैयार करने में मदद की थी।
श्री गणपति ट्यूबवेल के महेश मित्तल और श्री श्याम ट्यूबवेल के पदमचंद जैन के कहने पर इरकॉन इंटरनेशनल कंपनी के नाम से फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनाए गए। इसके लिए उसने 15 लाख रुपये से अधिक की राशि ली और संबंधित सरकारी कार्यालयों से फर्जी ईमेल के जरिए सत्यापन भी किया।