
मुम्बई
रतन टाटा का निधन: उद्योग जगत का एक महान व्यक्तित्व चला गया ।
भारत के प्रमुख उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा का निधन 85 वर्ष की आयु में हो गया। उनकी मृत्यु ने न केवल उद्योग जगत बल्कि समाज के हर वर्ग को शोक में डाल दिया है। रतन टाटा ने अपने कार्यकाल में भारतीय उद्योग को नई दिशा दी और कई महत्वपूर्ण पहल कीं, जिनका प्रभाव आज भी देखा जा सकता है।
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को सूरत में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा प्रिंसटन विश्वविद्यालय से पूरी की और 1962 में टाटा समूह से जुड़ गए। 1991 से 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष रहे, रतन टाटा ने कंपनी को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने टाटा नैनो, टाटा मोटर्स और टाटा स्टील जैसी सफल परियोजनाओं का शुभारंभ किया, जिससे भारतीय बाजार में नवाचार को बढ़ावा मिला।
रतन टाटा को हमेशा अपने सामाज सेवा कार्यों के लिए भी जाना जाएगा। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास में कई योजनाएँ शुरू कीं। टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से उन्होंने कई सामाजिक पहलों को समर्थन दिया, जिससे लाखों लोगों का जीवन सुधरा।
उनका दृष्टिकोण और दृष्टि केवल व्यवसाय तक सीमित नहीं थीं। उन्होंने हमेशा अपने कर्मचारियों और समुदाय की भलाई को प्राथमिकता दी। उनका मानना था कि व्यापार का उद्देश्य केवल लाभ कमाना नहीं, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाना भी होना चाहिए।
उनके निधन पर देशभर से नेताओं, उद्योगपतियों और आम लोगों ने शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि रत्न टाटा का योगदान भारतीय उद्योग में सदैव याद किया जाएगा। उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति हमारी गहरी संवेदना है। रतन टाटा का कार्य और उनकी विरासत हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी। टाटा देश ही नही बल्कि विदेशों में रहने वालों के दिलो पर राज करेंगे ।झारखंड सरकार ने एक दिन का राजकीय शोक की घोषणा की है । ये एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी देश के रतन टाटा को ।