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जयपुर शहर भाजपा की 30 मिनट की कार्यकारिणी – जुगाड़ से उठी बगावत की आंधी…?

भाजपा जयपुर शहर जिला कार्यकारिणी की सोशल मीडिया पर घोषणा के कुछ ही मिनटों बाद लिस्ट को डिलीट करना पड़ा। इसके तुरंत बाद एक नई पोस्ट डाली गई, जिसमें लिखा गया कि यह “मानवीय भूल” से पोस्ट हुई थी और विधिवत कार्यकारिणी की घोषणा बाद में की जाएगी।

लेकिन सवाल यह है कि आखिर यह लिस्ट इतनी जल्दी क्यों हटाई गई…? सूत्रों का कहना है कि इसकी जड़ में कुछ नामों को लेकर गहरी नाराजगी और जुगाड़ की राजनीति है।

विवादित नाम और आरोप

रेखा राठौड़ (महामंत्री पद )– 30 मिनट की पदाधिकारी): नगर निगम हेरिटेज में भाजपा पार्षद और पूर्व मंत्री पद पर रह चुकीं रेखा का भाजपा में कार्यकाल सिर्फ साढ़े चार साल का ही है। बावजूद इसके, 2023 विधानसभा चुनावों में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप सिंह खाचरियावास का समर्थन किया और उनके पति मुदित राठौड़ कांग्रेस का पटका पहनकर प्रचार में शामिल हुए (स्क्रीनशॉट सुरक्षित)।
चुनाव के दौरान सिविल लाइंस से भाजपा प्रत्याशी के रूप में उनका नाम डालकर एक फर्जी लिस्ट भी वायरल हुई थी, जिसे राजस्थान से संचालित एक न्यूज़ चैनल ने ट्विटर पर पोस्ट किया (स्क्रीनशॉट सुरक्षित)। उस समय भाजपा प्रभारी अरुण सिंह ने इसे कांग्रेस की हरकत करार दिया था।
(इस फर्जी लिस्ट की मोबाइल से मोबाइल खींची तस्वीर भी हमारे पास मौजूद है)। सूत्रों का कहना है कि संघ ने ही उनका नाम आगे बढ़ाया गया या संघ का नाम लेकर यह पद दिलाया गया—यह अभी भी सोचने का विषय है…?

जूही केडिया (भाजपा शहर IT पद  ) पुराने कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर सीधे पद देने पर सवाल उठ रहे हैं। पार्टी में उनका योगदान क्या है, इस पर अध्यक्ष को जवाब देना होगा।

नीलू जांगिड़ (मंत्री पद  ) लंबे समय से मेहनत कर रहे कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर इन्हें पद दिए जाने से असंतोष बढ़ा।

क्षमा अग्रवाल (मीडिया पद )  जुगाड़ की राजनीति से पद पाने के आरोप।

हिरेन मिश्रा (महामंत्री पद ): जयपुर सांसद के बेटे के मित्र। सूत्रों के मुताबिक इसी रिश्ते का इनाम उन्हें मिला। कार्यकर्ताओं का सवाल है—“क्या जयपुर में सांसद को कोई दूसरा योग्य कार्यकर्ता नहीं मिला?” हिरेन मिश्रा की निष्ठा पर भी सवाल हैं—न उन्हें पार्टी कार्यक्रमों में देखा गया और न ही कार्यकर्ता उन्हें पहचानते हैं।

सांगानेर के एक नेता (महामंत्री पद ): कई नेताओं के विरोध के बावजूद नाम जोड़ा गया।

9 लाख रुपये वाला पदाधिकारी (उपाध्यक्ष पद ): सूत्रों के अनुसार, इस पदाधिकारी ने जयपुर शहर के लोगों से 9 लाख रुपये जुटाए, जिनमें से कुछ ही रुपये कार्यालय में खर्च हुए और बाकी निजी उपयोग में चले गए। यह मुद्दा भी कार्यकर्ताओं के बीच गुस्से का कारण है।

भाजपा महिला कार्यकर्ताओं का विरोध

आज भाजपा कार्यालय में 3–4 नेताओं के सामने महिला कार्यकर्ताओं ने अपनी नाराजगी खुलकर जताई। उन्होंने बताया कि बीती रात उन्हें लिस्ट की जानकारी दी गई थी और उनका नाम सबसे ऊपर था, लेकिन अचानक उनका नाम हटा दिया गया।
उनका कहना है कि “जिन नामों को जोड़ा गया, उनका चयन किस आधार पर हुआ? अमित गोयल को इसका जवाब देना ही होगा।”
महिलाओं ने स्पष्ट किया कि उन्हें पूरी लिस्ट में 4–5 नामों पर ही आपत्ति है।

सोशल मीडिया पर ‘अमित गोयल हटाओ’ मुहिम

ताज़ा जानकारी के अनुसार, जयपुर शहर अध्यक्ष अमित गोयल की सोशल मीडिया ID पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध की मुहिम छेड़ दी है। कई कार्यकर्ता एक ही बात लिख रहे हैं – “अमित गोयल हटाओ, जयपुर शहर भाजपा को बचाओ।” यह विरोध पार्टी में गहराते असंतोष को दर्शा रहा है।

जुगाड़ और सिफारिश का बोलबाला

सूत्रों के अनुसार, लिस्ट में शामिल कई नाम सिफारिश या जुगाड़ से आगे बढ़े हैं। संघ से लेकर सांसदों तक की सिफारिशें चलीं और जमीन पर मेहनत करने वाले असली कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया गया।

कार्यकर्ताओं का गुस्सा

भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं का कहना है – “अगर हर जगह जुगाड़ और सिफारिश से पद बंटने लगे तो मूल कार्यकर्ता खुद को कहां देखेगा? मेहनत हम करें और मलाई सिफारिशी या पैसे देकर आने वाले खाएं, यह कभी स्वीकार नहीं होगा।”

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नगर निगम और पंचायत चुनावों से पहले ऐसे फैसले भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। अगर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व तुरंत हस्तक्षेप नहीं करता, तो यह असंतोष गुटबाजी और संगठनात्मक टूट का कारण बन सकता है।

नोट: रेखा राठौड़ से संबंधित सभी साक्ष्य (स्क्रीनशॉट, तस्वीरें आदि) सुरक्षित हैं और यह पूरी खबर विश्वसनीय सूत्रों के आधार ओर जानकारी के द्वारा तैयार की गई है।

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