मौत का खड्डा या ब्रह्मांडीय उल्कापिंड ? जयपुर मेट्रो के पास धरती फटी, सिस्टम सोया रहा !

जयपुर। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मार्ट सिटी के सपनों को साकार करने के लिए करोड़ों रुपये राज्यों को दिए हैं। राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार अपने विज़न और डबल इंजन के मॉडल को गति दे रही है। लेकिन जयपुर नगर निगम हैरिटेज पर आते-आते ये डबल इंजन जैसे थम सा जाता है। जयपुर को वर्ल्ड क्लास शहर बनाने के लिए राज्य सरकार ने नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर को 3 हज़ार करोड़ से ज्यादा का बजट दिया, पर अफसोस… विकास सिर्फ पोस्टरों और स्लोगन तक सिमट कर रह गया है।
जयपुर रेलवे स्टेशन के पास गोपाल बाड़ी में बरसात के बाद ज़मीन धंसने से बना 15 से 20 फीट गहरा गड्ढा इस बात की सबसे डरावनी तस्वीर है। गनीमत रही कि अब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, वरना इस जानलेवा गड्ढे में किसी की जान भी जा सकती थी।
सिर्फ 8 मीटर दूर मेट्रो का पिलर है, जिसे जयपुर की धड़कन कहा जाता है। ज़रा सोचिए, अगर ये गड्ढा और फैलता, तो मेट्रो सेवा भी संकट में पड़ सकती थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई महीनों से इस गड्ढे की शिकायतें हो रही हैं, लेकिन नगर निगम हैरिटेज के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। हाल ही में एक एक्टिवा सवार इस गड्ढे में गिरा, सौभाग्य से बचा लिया गया, लेकिन कब तक?
गोपाल बाड़ी वही इलाका है जहां से रोज़ाना 200 से 300 बसें देशभर में जाती हैं। हजारों यात्री रात 12 बजे तक यहां खड़े रहते हैं। अंधेरे में ये गड्ढा किसी मौत के कुएं से कम नहीं।
सरकार की मंशा साफ है—विकास, सुशासन और सुरक्षा। पर जयपुर में बैठे अफसर और महापौर सरकार की योजनाओं का मखौल उड़ा रहे हैं। स्मार्ट सिटी का सपना कागज़ पर चल रहा है और ज़मीन पर बन रहे हैं खतरनाक गड्ढे।
हमारी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से अपील है कि जयपुर की जनता और राज्य की छवि के साथ हो रहे इस खिलवाड़ को तुरंत रोका जाए। अफसरों की जवाबदेही तय करें और सरकार के विज़न को गड्ढों में समाने से पहले, वक्त रहते एक्शन लें।
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