
जयपुर।
गुरुपूर्णिमा 2025 का पर्व इस बार राजधानी जयपुर में श्रद्धा, भक्ति और अनुशासन का अद्वितीय संगम बनकर उभरा। परम पूज्य श्री कमलेश जी महाराज के पावन सान्निध्य में आयोजित इस ऐतिहासिक आयोजन में 20 हज़ार से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया और गुरु वंदन करते हुए भक्ति की मिसाल पेश की।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस अवसर पर कहा
“अगर आज मैं मुख्यमंत्री हूँ, तो यह मेरे गुरु का आशीर्वाद है। जीवन में चाहे गुरु आध्यात्मिक हो या राजनीतिक, गुरु का स्थान सर्वोपरि होता है। सही मार्गदर्शन ही जीवन की दिशा तय करता है। अंजाम कुछ भी हो, लेकिन हमें अपने गुरु के दिखाए मार्ग पर सच्ची निष्ठा से चलते रहना चाहिए।”
मुख्यमंत्री ने इसे कृतज्ञता, साधना और आत्मचिंतन का पर्व बताते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज को दिशा मिलती है और पीढ़ियों में सेवा, संस्कार व श्रद्धा की भावना जागृत होती है।
परम पूज्य कमलेश जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा—
“यह प्रेम ही मेरी सबसे बड़ी शक्ति है। यही मेरे जीवन का उद्देश्य है और यही मेरी साधना।”
गायत्री भवन परिवार द्वारा आयोजित इस विशाल आयोजन ने स्पष्ट कर दिया कि गुरु-शिष्य परंपरा भारतीय समाज की आत्मा है। जब समाज गुरु के मार्गदर्शन पर चलता है, तब भक्ति के साथ-साथ सामाजिक चेतना का भी विस्तार होता है।