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गुनाह सिर्फ इतना कि सरकार का नियम माना…? जयपुर में 6 शिक्षक सस्पेंड, सवालों के घेरे में स्कूल प्रशासन…?

जयपुर। राजधानी के आदर्श नगर स्थित आदर्श विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय में ऐसा मामला सामने आया है जिसने शिक्षा व्यवस्था और स्कूल प्रबंधन की नीयत दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां के 6 शिक्षकों को सिर्फ इसलिए निलंबित कर दिया गया क्योंकि उन्होंने राज्य सरकार के आदेश का पालन करते हुए अवकाश अवधि में विद्यालय नहीं खोला।

महिपाल सिंह कुलहरि, सुशील जैन, देवराज शर्मा, सतीश वशिष्ठ, राजेश नरूका और सतीश शर्मा — इन छह शिक्षकों ने मंगलवार को जयपुर यूथ हॉस्टल में प्रेसवार्ता कर अपना पक्ष रखा और निलंबन को अन्यायपूर्ण बताया।

इनका कहना है कि विद्यालय की प्रबंध समिति ने ग्रीष्मावकाश की अवधि को सरकार द्वारा निर्धारित तिथि से पहले ही समाप्त कर स्कूल खोलने का दबाव बनाया, जबकि शिविरा पंचांग व जिला कलेक्टर के आदेशों के अनुसार विद्यालय 30 जून तक बंद रखने थे।

शिक्षकों ने बताया कि जब उन्होंने सरकारी निर्देशों की पालना की, तो उन्हें 14 जुलाई को निलंबन पत्र थमा दिया गया।

 वेतन नहीं, न्याय भी नहीं…?

शिक्षकों का यह भी आरोप है कि अप्रैल 2020 से अब तक उन्हें नियमित वेतन नहीं मिला, जबकि विद्यालय को जून 2024 में ₹1.80 करोड़ का अनुदान मिल चुका है। जब वेतन की मांग की गई तो जवाब में निलंबन दे दिया गया।

अब सवाल यह है कि—
क्या शिक्षकों का कसूर सिर्फ यह था कि उन्होंने सरकार का नियम माना?

पीड़ित शिक्षकों ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और शिक्षा निदेशक से मामले की जांच कर निलंबन निरस्त करने और प्रबंधन पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

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