
जयपुर ,भारत की सांस्कृतिक विरासत में धर्म, पूजा-पाठ और ज्योतिष का विशेष स्थान रहा है। जन्म से लेकर मृत्यु तक हर शुभ-अशुभ अवसर पर हम आज भी विधि-विधान के साथ कर्मकांड करते हैं। किसी भी कार्य के आरंभ से पहले पंडित से मुहूर्त निकलवाना, कुंडली दिखाना और पूजा करवाना हमारी परंपरा का हिस्सा है। यही आस्था अब आधुनिकता के साथ मिलकर एक नया रूप ले रही है, और इसी कड़ी में टैरो कार्ड के रूप में एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा है।
महादेवी सोनवी एक ऐसा नाम बनकर उभरी हैं, जिन्होंने तीन वर्षों की कठोर साधना और अध्ययन के बाद वैदिक टैरो कार्ड की रचना की है। हाल ही में मीडिया के समक्ष पहली बार आईं महादेवी सोनवी ने बताया कि टैरो कार्ड के माध्यम से न केवल किसी व्यक्ति का अतीत बल्कि उसके भविष्य की झलक भी देखी जा सकती है। उनका दावा है कि यह विधा पूरी तरह वैज्ञानिक और आध्यात्मिक अनुभवों पर आधारित है।
महादेवी सोनवी ने बताया कि अब तक जो टैरो कार्ड प्रयोग में लाए जाते थे, उनमें विदेशी प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता था। अधिकतर कार्ड जापान या चीन से आयातित होते थे, जिनमें नग्न चित्र या सांस्कृतिक असामंजस्य दिखाई देता था। लेकिन उन्होंने जो वैदिक टैरो कार्ड बनाए हैं, वे पूरी तरह भारतीय संस्कृति, संस्कार और सनातन दर्शन पर आधारित हैं। हर कार्ड में भारतीय प्रतीक, देवी-देवताओं का आभास और वैदिक ऊर्जा का संचार समाहित है।
उनका मानना है कि आज की युवा पीढ़ी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है और मार्गदर्शन की तलाश में रहती है। ऐसे में टैरो कार्ड एक माध्यम बन सकता है आत्मविश्लेषण और आत्मविवेचना का। “जैसे हर आयोजन के लिए एक योग्य पंडित आवश्यक होता है, वैसे ही जीवन की दिशा को समझने के लिए वैदिक टैरो कार्ड भी उपयोगी साबित हो सकता है,” उन्होंने कहा।
महादेवी सोनवी ने यह भी कहा कि कोरोना काल ने हमें यह सिखाया है कि जीवन में अनिश्चितता कितनी गहराई तक जुड़ी होती है। ग्रहों की चाल, समय की गति और हमारे कर्म—ये सब मिलकर जीवन की दशा और दिशा तय करते हैं। ऐसे में टैरो कार्ड एक ऐसा माध्यम हो सकता है जिससे व्यक्ति न केवल आने वाली संभावनाओं को समझ सके, बल्कि वर्तमान के निर्णयों को भी बेहतर बना सके।