
✍️ मनोज शर्मा
जयपुर |
“माँ, मुझे सांस लेने में बहुत ही तकलीफ हो रही है…”
ये शब्द किसी मेडिकल रिपोर्ट का हिस्सा नहीं, बल्कि उस मासूम बच्चे की चिंता थे, जो अचानक सांस की दिक्कत से घबरा गया। माँ दौड़ती हुई डॉक्टर के पास पहुंची। जांच हुई… और रिपोर्ट सामान्य आई। लेकिन डॉक्टर ने जो कहा, उसने माँ ही नहीं, सबको सोचने पर मजबूर कर दिया।
डॉक्टर बोले – “आप घबराइए नहीं, बच्चा ठीक है… लेकिन कल जब ये पेड़ नहीं बचेंगे, तब हर इंसान को ऐसी ही तकलीफ होगी।”
दरअसल, हम सब ये भूलते जा रहे हैं कि पेड़ सिर्फ हरियाली नहीं, बल्कि जीवन हैं। ऑक्सीजन का असली स्रोत हैं। हम अपनी सुविधाओं की खातिर इन्हें बेरहमी से काट रहे हैं। और एक दिन यही हालात हमें उस मशीन पर ले जाएंगे, जहां “सांस” भी एक लग्ज़री होगी।
🌿 पर्यावरण संरक्षण पर सामाजिक कार्यकर्ता विष्णु शर्मा ने कहा —
“आज हम जैसे रोटी की जरूरत समझते हैं, वैसे ही पेड़ भी हमारे लिए जरूरी हैं। जिस तरह हम अपनी दूसरी जरूरतों को पूरा करने के लिए हजारों रुपए खर्च करते हैं, वैसे ही अगर हर इंसान एक पेड़ लगा दे, तो सबकी बुनियादी जरूरतें पूरी हो सकती हैं।
दिक्कत ये है कि जब हमें कुछ मुफ्त मिलता है, तो उसकी कदर नहीं करते। ऑक्सीजन, पानी, हवा — ये सब हमें भगवान ने मुफ्त दी हैं। अगर इनका सही उपयोग करें और इन्हें जरूरत के हिसाब से लें, तो न कोई संकट होगा, न तकलीफ।”
आज जब पूरी दुनिया विश्व पर्यावरण दिवस मना रही है, तब ये कहानी सिर्फ एक माँ और बेटे की नहीं, बल्कि हम सभी की चेतावनी है।
🔴 अगर आज भी नहीं चेते, तो कल हमारी पीढ़ियाँ हमें कोसेंगी।
हर दिन दुनिया से लाखों पेड़ कटते हैं। एमेजन जैसे जंगल, जो पृथ्वी को 30% तक ऑक्सीजन देते हैं, अब खतरे में हैं। तापमान बढ़ रहा है, जलवायु अनियंत्रित हो रही है, जल संकट गहराता जा रहा है।
🔹 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई बार अपील की है –
“हर व्यक्ति अपनी माँ के नाम एक पेड़ लगाए…”
यह केवल एक अपील नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए जीवनदान है।
📢 अब वक्त आ गया है कि पर्यावरण बचाने की बातें सोशल मीडिया तक सीमित न रहें। इसे अपनाना होगा, जीना होगा।
🌿 चलो आज संकल्प लें — “जीवन में कम से कम एक पेड़ लगाकर धरती माँ का ऋण चुकाएँ।”
पेड़ लगाना कोई विकल्प नहीं, अब एक जिम्मेदारी है।
क्योंकि अगर हमने आज नहीं लगाया,
तो कल हमारी सांसें भी उधार की होंगी…।