राजनीतिराजस्थानराज्यलोकल न्यूज़

झुंझुनू में परिवारवाद की फतह, कार्यकर्ता किनारे — कुर्सी रसूख के हवाले!

शेखावाटी में जहां चाहिए था संघर्ष का नेतृत्व, वहां सौंप दी गई ज़िम्मेदारी विरासत को ।

जयपुर

जयपुर/झुंझुनू।
राजस्थान भाजपा में जिला अध्यक्षों की बहुप्रतीक्षित घोषणा आखिरकार सामने आ गई है। प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौर द्वारा जैसे ही बचे हुए चार जिलों के अध्यक्षों के नाम घोषित किए, राजनीतिक हलचल सबसे ज़्यादा झुंझुनू को लेकर तेज़ हो गई। यहां की नियुक्ति ने पार्टी की घोषित नीतियों, सांगठनिक अनुशासन और कार्यकर्ता आधारित मॉडल पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।

“एक व्यक्ति, एक पद” नीति का खुलेआम उल्लंघन

भाजपा ने झुंझुनू का नया जिलाध्यक्ष हर्षिनी कुलहरी को नियुक्त किया है, जो पहले से ही जिले की निर्वाचित जिला प्रमुख हैं। यह सीधा उल्लंघन है भाजपा की बहुचर्चित नीति “एक व्यक्ति, एक पद” का, जिसे बार-बार संगठन की रीढ़ कहा गया है।

खास बात यह भी है कि पार्टी के आंतरिक नियमों के मुताबिक जिलाध्यक्ष बनने के लिए संबंधित व्यक्ति की उम्र 45 वर्ष से अधिक होनी चाहिए और उसे मंडल से लेकर ज़िला कार्यसमिति तक सांगठनिक अनुभव होना चाहिए। हर्षिनी कुलहरी का संगठनात्मक अनुभव इस मानक पर खरा नहीं उतरता।

जमीनी कार्यकर्ता दरकिनार, रसूखदार को तवज्जो

झुंझुनू में कार्यकर्ताओं को आशा थी कि यहां किसी पुराने, संघर्षशील कार्यकर्ता को ज़िम्मेदारी दी जाएगी। चर्चा में दिनेश धाबाई, ओमेंद्र चारण, विक्रम सैनी, सतीश गजराज, योगेन्द्र मिश्रा जैसे नाम प्रमुखता से थे। साथ ही भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू भी इस दौड़ में माने जा रहे थे।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि भाजपा के ज़िला चुनाव प्रभारी कैलाश मेघवाल द्वारा जो तीन नाम प्रदेश नेतृत्व को भेजे गए थे, उनमें हर्षिनी कुलहरी का नाम शामिल ही नहीं था। फिर भी अंतिम फैसला उन्हीं के पक्ष में गया — जिससे संगठनात्मक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठते हैं।

शेखावाटी में संघर्ष का गला घोंटा गया

शेखावाटी क्षेत्र, विशेष रूप से झुंझुनू, भाजपा के लिए हमेशा से एक संघर्ष का मैदान रहा है। यहां पार्टी ने विरोध के बीच संगठन को खड़ा किया और कार्यकर्ताओं की मेहनत से जनाधार बनाया।

ऐसे समय में जब संगठन में नई ऊर्जा भरने की ज़रूरत थी, एक संघर्षशील कार्यकर्ता को ज़िम्मेदारी देने की बजाय रसूख को तरजीह दी गई। इससे कार्यकर्ताओं में गहरा असंतोष व्याप्त है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा: प्रेरणा 

जब भाजपा ने राजस्थान में भजनलाल शर्मा जैसे सामान्य कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री बनाया, तो यह एक उदाहरण बन गया कि पार्टी संघर्ष को सम्मान देती है। लेकिन झुंझुनू की नियुक्ति उसी भावना के विपरीत जाती दिख रही है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या कार्यकर्ताओं की यह उपेक्षा संगठन को दीमक की तरह नहीं चाटेगी?

भविष्य की चेतावनी: विश्वास की दीवार दरक रही है

अगर भाजपा इसी तरह संगठनात्मक मूल्यों की अनदेखी करती रही, तो आम कार्यकर्ता का भरोसा टूट सकता है।
झुंझुनू की यह नियुक्ति सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि संदेश है — और यह संदेश संगठन के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है।

✍ (रिपोर्ट: विशेष संवाददाता)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!