
जयपुर / धार्मिक आस्था और भावनाओं से जुड़ी – पढ़िए पूरी खबर
जयपुर में आज भक्ति, परंपरा और प्रेम का वो संगम देखने को मिलेगा, जो आत्मा को छू जाए — तैयार हो जाइए एक अलौकिक अनुभव के लिए।
27 जून।
जयपुर आज एक दिव्य परंपरा का साक्षी बनने जा रहा है। भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ विशेष हाइड्रोलिक रथ पर सवार होकर मौसी के घर यानी शिव सत्संग भवन (रामनिवास बाग) की ओर प्रस्थान करेंगे। यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि वह आत्मिक मिलन है, जिसमें आस्था, प्रेम और सेवा की गंगा बहती है।
पहली बार जयपुर में हुआ गुंडिचा मार्जन सेवा का आयोजन
इस रथयात्रा से एक दिन पहले, भक्तों ने जयपुर में इतिहास रच दिया। गुप्त वृंदावन धाम, राधा दामोदर मंदिर और शिव सत्संग भवन सहित कई मंदिरों में भक्तों ने श्री चैतन्य महाप्रभु की 500 वर्ष पुरानी परंपरा “गुंडिचा मार्जन सेवा” का पालन किया।
भक्त सुबह 4:30 बजे से जुट गए। उन्होंने अपने हाथों से मंदिर की फर्श, दीवारें और आंगन तक धोए — ठीक वैसे ही जैसे महाप्रभु ने कभी पुरी में किया था। मंदिर समिति के अध्यक्ष अमितासना दास के अनुसार, “यह सेवा बाहरी सफाई नहीं, आत्मशुद्धि का माध्यम है।”
यात्रा का मार्ग और समय
रथयात्रा शाम 5:15 बजे जयपुर होटल (कलेक्ट्रेट सर्किल) से आरंभ होगी। रास्ते में खासा कोठी पुलिया, एमआई रोड, गवर्नमेंट हॉस्टल चौराहा, पांच बत्ती, अजमेरी गेट व न्यू गेट होते हुए यह यात्रा राजस्थान स्काउट एंड गाइड्स गार्डन स्थित शिव सत्संग भवन (मौसीघर) पर रात 8:15 बजे समाप्त होगी।
मौसी के घर 9 दिन रुकते हैं भगवान
गुंडिचा रानी, जिन्हें भगवान जगन्नाथ की मौसी माना जाता है, के घर भगवान 9 दिनों तक विशेष देखभाल में रहते हैं। यह रुकना एक शुद्ध भावनात्मक परंपरा है — न माता जैसी ममता, न रानी जैसी शान, बल्कि मौसी की स्नेहभरी गोद जैसा प्रेम इसमें समाया होता है।
भक्तों का प्रेम, भगवान की मुस्कान
जब भक्त रथ खींचते हैं, तो मानो भगवान को अपने हृदय से जोड़ लेते हैं। ऐसा विश्वास है कि भगवान जगन्नाथ इस प्रेम को देखकर भावविभोर हो जाते हैं — उनकी आंखें बड़ी हो जाती हैं, हाथ सीधे फैल जाते हैं, जैसे हर भक्त को गले लगाना चाहते हों। यही वह क्षण है जब भगवान रथ पर नहीं, भक्तों के दिल पर सवार होते हैं।
नोट-भगवान की फ़ोटो गूगल से ली गई है ।