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चौथे दिन भी चुप्पी! ड्राइवरों का अल्टीमेटम—शाम तक सुनवाई नहीं हुई तो सिविल लाइंस का घेराव ।

हम किसी पार्टी के खिलाफ नहीं, नीति के खिलाफ हैं ।

जयपुर

जयपुर | राजस्थान में ऐप बेस्ड कैब, टैक्सी, वैन, बस और निजी कांट्रैक्ट गाड़ियों से जुड़े ड्राइवरों का बहिष्कार आज चौथे दिन भी जारी रहा। हज़ारों ड्राइवर लोकतांत्रिक तरीके से विरोध दर्ज करा रहे हैं, लेकिन अब तक न सरकार ने कोई जवाब दिया, न कंपनियों ने कोई पहल की और न ही प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई की है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जताया आक्रोश
ड्राइवर यूनियनों ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस कर सरकार से सवाल पूछे—”हम किसके पास जाएं? कौन सुनेगा हमारी बात?”
ड्राइवरों का कहना है कि वे आर-पार की लड़ाई नहीं चाहते, लेकिन अगर आज शाम तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया, तो उन्हें मजबूरन सिविल लाइंस का घेराव करना पड़ेगा।

यह हैं प्रमुख मांगें:

राज्य सरकार की तय दरों को लागू किया जाए।

इवेंट बाइकों के व्यावसायिक उपयोग पर तुरंत रोक लगे।

इवर आयोग (ई-मोबिलिटी रेगुलेटरी बॉडी) का गठन किया जाए।

ड्राइवरों को मेडिकल व डिफेंस सुविधाएं मिलें।

सिर्फ ड्राइवर नहीं, यात्री भी हो रहे परेशान
ड्राइवर संगठनों का कहना है कि इस आंदोलन से सिर्फ वे नहीं, बल्कि आम यात्री, सरकार का राजस्व और प्रशासनिक व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।
हर रोज पुलिस बल और प्रशासन को ओला-उबर जैसी कंपनियों की अव्यवस्थाओं से निपटने में वक्त गंवाना पड़ रहा है।

“हम किसी पार्टी के खिलाफ नहीं, नीति के खिलाफ हैं”
यूनियन प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई किसी सरकार या राजनीतिक पार्टी से नहीं, बल्कि उस नीतिगत अनदेखी से है जो लाखों ड्राइवरों के पेट पर लात मार रही है।

आखिरी चेतावनी:
यदि आज भी सरकार की तरफ से कोई ठोस संवाद नहीं होता, तो यह आंदोलन और तेज़ होगा और राज्यभर में सड़क पर ड्राइवर उतरेंगे।
“फैसला सरकार के हाथ में है, हमारी मांगें न्याय और सम्मान की हैं”—ड्राइवर संगठनों का दो टूक संदेश।

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