टॉप न्यूज़देशधर्मराजनीतिराजस्थानराज्य

अश्रुपूरित अलविदा: क्षत्रिय चेतना के दीप स्तंभ भगवान सिंह रोलसाहबसर पंचतत्त्व में विलीन ।

2 फ़रवरी 1944 को सीकर जिले के रोलसाहबसर गाँव में जन्मे भगवान सिंह ने जीवन-भर राजनीति से दूर रहकर समाज सेवा को ही साधना बनाया।

जयपुर, 6 जून।
श्रीक्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक और विख्यात समाजसेवी भगवान सिंह रोलसाहबसर (81) का गुरुवार देर रात एसएमएस अस्पताल में निधन हो गया। किडनी सहित कई अंगों की कमजोरी से जूझते हुए वे पिछले दिनों वेंटिलेटर पर थे। उनके महाप्रयाण की खबर फैलते ही न केवल क्षत्रिय समाज, बल्कि समूचा राजस्थान शोक-संतप्त हो उठा।

अंतिम दर्शन में उमड़ा सैलाब

पार्थिव देह को शुक्रवार सुबह संघ शक्ति भवन, जयपुर में रखा गया, जहाँ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित हज़ारों श्रद्धालु अन्तिम दर्शन के लिए पहुँचे। दोपहर चार बजे झोटवाड़ा स्थित लता सर्किल श्मशान घाट पर राजकीय सम्मान के बीच अंतिम संस्कार संपन्न हुआ।

सादगी की मिसाल, समाज-बंधुता के प्रतीक

2 फ़रवरी 1944 को सीकर जिले के रोलसाहबसर गाँव में जन्मे भगवान सिंह ने जीवन-भर राजनीति से दूर रहकर समाज सेवा को ही साधना बनाया। 1963 में रतनगढ़ (चूरू) के सात-दिवसीय शिविर से श्रीक्षत्रिय युवक संघ से जुड़े और 1989 में संघ प्रमुख बने। पाँच दशक से अधिक समय तक उन्होंने देश-भर में पाँच सौ से ज़्यादा शिविर लगाए, युवा पीढ़ी को अनुशासन, राष्ट्रनिष्ठा और नैतिक मूल्यों का पाठ पढ़ाया।

चुनावी राजनीति में भी निभाई शांत भूमिका

सूत्रों के मुताबिक, 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने दिल्ली में शीर्ष नेताओं से भेंट कर राजपूत समाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की माँग की। परिणामस्वरूप भाजपा ने 25 और कांग्रेस ने 20 सीटों पर राजपूत उम्मीदवार उतारे। फिर भी उन्होंने सत्ता-लोभ से स्वयं को दूर रखा और तटस्थ रहकर समाज की आवाज़ बुलंद की।

आध्यात्मिक चेतना का संचार

बाड़मेर के गेहूँ रोड स्थित आलोकायन आश्रम में निवास करते हुए उन्होंने यथार्थ गीता के प्रचार-प्रसार व आध्यात्मिक संवाद का बीड़ा उठाया। 4 जुलाई 2021 को संघ की कमान लक्ष्मण सिंह बैण्यांकाबास को सौंपने के बाद भी वे संरक्षक के रूप में प्रेरणा-स्रोत बने रहे।

श्रद्धांजलियों का सिलसिला

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिवंगत नेता को ‘पितृतुल्य मार्गदर्शक’ बताते हुए कहा, “उनका जाना जनसेवा की अपूरणीय क्षति है”। प्रदेश के सभी बड़े दलों के नेताओं ने एक स्वर में उन्हें राजस्थानी सामाजिक चेतना का प्रकाशस्तंभ बताया और परिवार व अनुयायियों के प्रति संवेदना व्यक्त की।

भगवान सिंह रोलसाहबसर का जीवन सादा, विचार उच्च और लक्ष्य स्पष्ट था—“समाज से ऊपर समाज का उत्थान।” उनके निष्कलुष आचरण और त्यागमयी कर्मपथ की स्मृति लंबे समय तक जनमानस को राह दिखाती रहेगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!