
जयपुर / राजस्थान
राजस्थान में एक बार फिर गुर्जर आंदोलन की आहट सुनाई दे रही है। समाज के सर्वमान्य नेता स्वर्गीय कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला के बाद अब उनके पुत्र विजय बैसला समाज की बागडोर संभालते नज़र आ रहे हैं। हाल ही में विजय बैसला ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि महीनों बीत जाने के बावजूद न तो गुर्जर समाज को आरक्षण से जुड़ी न्यायिक मांगों पर कोई ठोस निर्णय मिला है, और न ही आंदोलन के दौरान समाज पर लगाए गए मुकदमे वापस लिए गए हैं।
विजय बैसला, जो पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर देवली-उनियारा से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन पराजय का सामना करना पड़ा था, अब सामाजिक मोर्चे पर सक्रिय नज़र आ रहे हैं। उन्होंने पीलूपुरा में एक महापंचायत बुलाने की घोषणा की है। यह वही पीलूपुरा है, जो गुर्जर आंदोलन के इतिहास में कई बार संघर्ष का केंद्र रहा है।
बैसला ने बताया कि इस महापंचायत में गुर्जर समाज के सभी प्रमुख बुजुर्ग, युवा और प्रतिनिधि एकत्र होंगे, जहाँ आंदोलन की आगे की रणनीति तय की जाएगी। यदि सरकार समय रहते संवाद स्थापित नहीं करती है, तो यह आंदोलन दोबारा विकराल रूप धारण कर सकता है।
गौरतलब है कि गुर्जर आंदोलन के कारण पहले भी राजस्थान की रेल पटरियाँ ठप हो चुकी हैं। कई बार आम जनता को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है, और भारतीय रेल को करोड़ों रुपये का नुकसान झेलना पड़ा था। यदि इस बार भी आंदोलन तेज होता है, तो आम जनजीवन और राज्य प्रशासन दोनों के लिए यह गंभीर चुनौती बन सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह केवल आरक्षण की मांग नहीं, बल्कि समाज के आत्मसम्मान और लंबे समय से लंबित न्याय की लड़ाई बन चुकी है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह समय रहते बातचीत की पहल करे और स्थिति को टकराव की दिशा में जाने से रोके।