जयपुर में अवार्ड समारोह की आड़ में बिना अनुमति के नेताओं की फोटो का हो रहा दुरुपयोग, पर उठे सवाल ।
नियमों के अनुसार, किसी भी जनप्रतिनिधि—चाहे वे मुख्यमंत्री हों सांसद या विधायक—की तस्वीर या नाम का किसी सार्वजनिक प्रचार में उपयोग करने से पूर्व उनकी अनुमति लेना अनिवार्य होता है।

जयपुर
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जयपुर में अवार्ड समारोह की आड़ में बिना अनुमति के नेताओं की फोटो का हो रहा दुरुपयोग, पर उठे सवाल ।
जयपुर। राजधानी जयपुर में इन दिनों सम्मान और पुरस्कार समारोहों की जैसे बाढ़ आ गई है। कई गैर-पंजीकृत संस्थाएं, जिनके पास न तो किसी प्रकार की सरकारी मान्यता है और न ही वैधानिक अनुमति, खुलेआम अवार्ड कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं। इन आयोजनों का मुख्य उद्देश्य प्रायोजकों से धन एकत्र करना और आम जनता को भ्रमित करना होता है।
ऐसी ही एक संस्थान द्वारा हाल ही में एक अवार्ड कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रचार सामग्री और बैनरों पर राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री श्रीमती दीया कुमारी, जयपुर सांसद श्रीमती मंजू शर्मा, सिविल लाइंस विधायक श्री गोपाल शर्मा और हवा महल विधायक श्री बाल मुकुंद आचार्य के नाम और तस्वीरों का उपयोग किया गया है। सूत्रों के अनुसार, इन नेताओं से इस कार्यक्रम के लिए कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई है।
नियमों के अनुसार, किसी भी जनप्रतिनिधि—चाहे वे मुख्यमंत्री हों सांसद या विधायक—की तस्वीर या नाम का किसी सार्वजनिक प्रचार में उपयोग करने से पूर्व उनकी अनुमति लेना अनिवार्य होता है। आमतौर पर इसके लिए संबंधित नेता के कार्यालय द्वारा एक आधिकारिक स्वीकृति पत्र जारी किया जाता है। लेकिन इस आयोजन में इन नियमों की स्पष्ट अनदेखी देखी गई।
जब इस विषय में हवा महल विधायक बाल मुकुंद आचार्य की टीम से बातचीत की गई, तो उन्होंने बताया, “हां, पोस्टर विमोचन के लिए आयोजक आए थे, परंतु उस समय उन्होंने कार्यक्रम की तारीख नहीं बताई थी। जिन नेताओं की तस्वीरें प्रचार सामग्री में उपयोग की गई हैं, उनकी ओर से कार्यक्रम में आने की कोई अधिकारिक पुष्टि फिलहाल नहीं हुई है।”
वहीं जयपुर सांसद श्रीमती मंजू शर्मा के कार्यालय से भी जब जानकारी ली गई तो उन्होंने साफ किया कि सांसद जी की ओर से इस कार्यक्रम में भाग लेने की कोई अनुमति नहीं दी गई है।
जब सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा की टीम से संपर्क किया गया, तो उन्होंने भी स्पष्ट किया कि विधायक जी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे हैं और न ही उनकी ओर से इस आयोजन को किसी प्रकार की अनुमति दी गई है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि आम जनता अपने पसंदीदा नेताओं को करीब से देखने और सम्मान देने की उम्मीद में इन आयोजनों में भाग लेती है, लेकिन अंत में उन्हें निराशा हाथ लगती है। कार्यक्रम के दिन आयोजकों की ओर से यह कहकर स्थिति से बचने की कोशिश की जाती है कि “नेता जी अचानक किसी आवश्यक कार्य में व्यस्त हो गए हैं”, जबकि सच्चाई यह होती है कि उन्हें कार्यक्रम की जानकारी ही नहीं दी गई होती।
जयपुर में इस प्रकार की कई संस्थाएं सक्रिय हैं जो अवार्ड के नाम पर जनता को गुमराह कर रही हैं। इन आयोजनों में न सिर्फ लोगों का समय और श्रम व्यर्थ होता है, बल्कि उनका भरोसा भी टूटता है।
अब समय आ गया है कि प्रशासन इस पर सख्त रुख अपनाए। सरकार को चाहिए कि बिना पंजीकरण और बिना अनुमति के नेताओं के नाम व तस्वीरों का उपयोग करने वाले आयोजकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही, आम नागरिकों को भी सतर्क रहना चाहिए ताकि वे किसी भी नकली आयोजन के जाल में न फंसे ।