
जयपुर
जयपुर नगर निगम ग्रेटर की महापौर सौम्या गुर्जर इन दिनों अपनी टीम के साथ राम लल्ला के दर्शन के लिए अयोध्या गई हुई हैं। यह यात्रा दीपावली के नजदीक हो रही है, जबकि शहर की सफाई व्यवस्था और अन्य आवश्यक कार्यों का ध्यान देने वाला कोई नहीं है।
जब मुख्यमंत्री भजन लाल ने सरकार गठन के बाद अपने विधायकों और मंत्रियों के साथ अयोध्या की यात्रा की थी, अब महापौर ने भी इसी तरह की यात्रा करने का निर्णय लिया है। यह सवाल उठता है कि उन्होंने जयपुर की व्यवस्थाओं को किसके हाथों में सौंपा है और क्या यह समय इस प्रकार की यात्राओं का है, जबकि स्वच्छ भारत मिशन और शहर की समस्याएं प्रमुख हैं।
महापौर के कार्यकाल में सफाई और बुनियादी सुविधाओं की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। जब उनसे इंदौर यात्रा और वहां की सफाई व्यवस्था के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया कि वहां के लोग जागरूक हैं। यह बयान जयपुर की जनता को जिम्मेदार ठहराता है, जबकि उनके कार्यों में गंभीरता की कमी साफ दिखाई देती है।
महापौर ने अपने कार्यकाल में निजी स्वार्थों के अलावा कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद, नगर निगम सफाई, टूटी सड़कों और अवैध अतिक्रमण के मुद्दों में पिछड़ता नजर आ रहा है। उनकी गतिविधियों में भी जनता से सीधे जुड़ाव की कमी है, जैसे कि स्वच्छता पहरेदारों को राखी बांधने के बाद उनसे हड़ताल पर ना जाने का वचन मांगना।
वहीं, भाजपा का सदस्य अभियान भी चल रहा है, जिसमें भाजपा के पार्षद सफल बनाने में जुटे हैं, जबकि महापौर अपने राजनीतिक रसूख को बढ़ाने में लगी हैं। भाजपा के प्रदेश प्रभारी भी कम सदस्य बनने पर राजस्थान के नेताओं पर नाराजगी जता चुके हैं। ऐसे में महापौर की अयोध्या यात्रा सवालों के घेरे में है।
महापौर के पास अपने कार्यकाल का एक साल ही बचा है। यदि वे नगर निगम और जयपुर की जनता के दिलों में अपनी छाप छोड़ना चाहती हैं, तो उन्हें अपनी प्राथमिकताओं को बदलना होगा। अयोध्या की यात्रा से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है शहर के विकास और सफाई व्यवस्था पर ध्यान देना।